तुम तन्हाई में मेरी तस्वीर चूमती हो क्या। दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी आईने से तुम घबराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा। आह-ओ-ज़ारी ज़िंदगी है बे-क़रारी ज़िंदगी ज़ख़्म ही तेरा मुक़द्दर हैं दिल तुझ को कौन सँभालेगा के ये रातें ख्वाबों के लिए होती हैं, या तुम्हारी यादों https://youtu.be/Lug0ffByUck