किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥ सर्व कला, संम्पन तुम्ही हो, हे मेरे परमेश्वर, नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥ दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa